उदयपुर, 19 जून। उदयपुर की छात्राएं साक्षी पूर्बिया, निकिता पूर्बिया और कुनिका गुप्ता ने अपनी एमबीबीएस की पढाई विदेश में पूरी कर डिग्री प्राप्त की। तीनों छात्राएं 2018 में उदयपुर से चीन अपनी मेडिकल की पढाई करने गयी थी और 6 वर्ष में इंटर्नशिप के साथ अपनी पढाई की, अब भारत आकर अगले माह एफएमजीइ की परीक्षा देगी।
अभिभावक महेंद्र पूर्बिया बताते है की 2018 में हमारा और बच्चों का सपना था डॉक्टर बनने का लेकिन भारत में नंबर नहीं आना एवं प्राइवेट कॉलेज की फीस ज्यादा होने के कारण संभव नहीं था, लेकिन शहर के एजुकेशन काउंसलर विकास छाजेड़ द्वारा मार्गदर्शन से आज हमारा सपना पूरा हुआ है।
के एन गुप्ता कहते है की पूरा परिवार खुश है, जब बच्चो को भेजा था तब मन में डर सा था, लेकिन ये छह वर्ष कैसे निकले पता नहीं चला और आज बच्चे डॉक्टर बन गए है।
एजुकेशन काउंसलर विकास छाजेड़ बताते है 2021 से पहले चीन की इंटर्नशिप भारत में मान्य होने से इन छात्रों को एक वर्ष का फायदा मिला। उल्लेखनीय है की एनएमसी द्वारा नवम्बर 2021 में विदेश से एमबीबीएस करने पर कुछ नियमों में परिवर्तन किया है, जिन्हें अच्छी तरह समझकर उपयुक्त देश का ही चयन करना चाहिए। अब विदेश से एमबीबीएस की पढाई के साथ इंटर्नशिप भी अनिवार्य कर दी है, जिसके कारण किसी भी देश से एमबीबीएस कोर्स करने की अवधि अब समान हो गयी है ओर भारत आकर एग्जिट परीक्षा के बाद एक वर्ष की इंटर्नशिप ओर करनी होगी, इसी के साथ ओर भी कई नियमों में बदलाव हुए है, जिसके कारण अब रूस के सरकारी मेडिकल विश्वविद्यालयों में विद्यार्थीओं का रुझान बढ़ा है।
अभिभावक महेंद्र पूर्बिया बताते है की 2018 में हमारा और बच्चों का सपना था डॉक्टर बनने का लेकिन भारत में नंबर नहीं आना एवं प्राइवेट कॉलेज की फीस ज्यादा होने के कारण संभव नहीं था, लेकिन शहर के एजुकेशन काउंसलर विकास छाजेड़ द्वारा मार्गदर्शन से आज हमारा सपना पूरा हुआ है।
के एन गुप्ता कहते है की पूरा परिवार खुश है, जब बच्चो को भेजा था तब मन में डर सा था, लेकिन ये छह वर्ष कैसे निकले पता नहीं चला और आज बच्चे डॉक्टर बन गए है।
एजुकेशन काउंसलर विकास छाजेड़ बताते है 2021 से पहले चीन की इंटर्नशिप भारत में मान्य होने से इन छात्रों को एक वर्ष का फायदा मिला। उल्लेखनीय है की एनएमसी द्वारा नवम्बर 2021 में विदेश से एमबीबीएस करने पर कुछ नियमों में परिवर्तन किया है, जिन्हें अच्छी तरह समझकर उपयुक्त देश का ही चयन करना चाहिए। अब विदेश से एमबीबीएस की पढाई के साथ इंटर्नशिप भी अनिवार्य कर दी है, जिसके कारण किसी भी देश से एमबीबीएस कोर्स करने की अवधि अब समान हो गयी है ओर भारत आकर एग्जिट परीक्षा के बाद एक वर्ष की इंटर्नशिप ओर करनी होगी, इसी के साथ ओर भी कई नियमों में बदलाव हुए है, जिसके कारण अब रूस के सरकारी मेडिकल विश्वविद्यालयों में विद्यार्थीओं का रुझान बढ़ा है।