उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि वैदिक ग्रंथों में गीता का, बौद्ध धर्म में धम्मपद का, ईसाई में बाइबिल का, इस्लाम धर्म में कुरान का जो महत्व है उससे विशिष्ट महत्व जैन धर्म में कल्पसूत्र का है।
साध्वी ने कहा कि पर्युषण पर्व पर भद्रबाहु स्वामी द्वारा विरचित कल्पसूत्र वाचन का विधान है। कल्पसूत्र के अन्तर्गत तीन अधिकारों का विवेचन किया गया है। प्रथम अधिकार में तीर्थकरों के जीवन चरित्र का, दूसरे अधिकार में महापुरुषों के जीवन चरित्र का और तीसरे अधिकार में साधु समाचारी का विवेचन है।
उन्होंने कहा कि कल्प का अर्थ है आचार। साधु साध्वी के आचार का विवेचन कल्पसूत्र में किया गया है। व्यक्ति कितने भी शुभ विचार करंे परंतु बाल जीवों पर जिनके अध्यात्म की गहराई नही है उन पर प्रभाव विचार का नही आचार का पड़ता है।
साध्वी ने कहा कि साधु साध्वी पूरे विश्व की अनमोल निधि होते है। उनका कोई भी अच्छा या बुरा कार्य पूरे विश्व को प्रभावित करता है। साधु के उत्कृष्ट आचार से पूरा विश्व गौरवान्वित होता है वहीं साधु के शिथिल आचार से पूरा विश्व प्रभावित होता है।
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