10हजार में से 6 बच्चे में होती इस तरह की समस्या
उदयपुर,2 सितम्बर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग ने जन्मजात मोतियाबिंद (कंजेनाइटल कैटरेक्ट) से पीड़ित एक ही परिवार के तीन बच्चों और उनकी मां का निःशुल्क ऑपरेशन कर उनकी आंखों की रोशनी वापस लौटाई। यह मामला विशेष था क्योंकि परिवार के सभी सदस्य एक ही बीमारी से प्रभावित थे।
दरअसल पीएमसीएच की ओर से सोहरती गाँव में आयोजित निःशुल्क चिकित्सा जांच और परामर्श शिविर के दौरान इस परिवार के तीन बच्चों और उनकी मां को आंखों से कम दिखने की समस्या के चलते प्रारंभिक जॉच के दौरान मोतियाबिंद की समस्या का पता चला, जिसके बाद मरीजों को पीएमसीएच में विशेष जॉच के लिए भेजा गया। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में अत्याधुनिक एडवांस मशीनों का उपयोग करके इन मरीजों की जॉच की गई। जिसमे सभी मरीजों को जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या का पता चला जिसका की ऑपरेशन द्वारा ही इलाज सम्भव था।
नेत्र रोग विभाग की पूरी टीम ने इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस सफल ऑपरेशन में नेत्र रोग विभाग के सर्जन डॉ. राजेंद्र चौधरी, डॉ. सलोनी, डॉ. सागर, डॉ. सुभाष, डॉ. आकांशा,डॉ.निष्ठा और निश्चेतना विभाग के डॉ.प्रकाश ओदिच्य,डॉ. स्वाति,डॉ.दिवेश,हरीश और हीरा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन सभी विशेषज्ञों ने मिलकर एक-एक करके मरीजों का ऑपरेशन किया और उनकी आंखों की दृष्टि को वापस लाने में सफलता प्राप्त की।
नेत्र रोग सर्जन डॉ. राजेंद्र चौधरी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद सभी मरीजों की आंखों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ। बच्चों और उनकी मां को उनकी खोई हुई दृष्टि वापस मिल गई, जिससे उनके जीवन में एक नई उम्मीद और खुशी आई। यह ऑपरेशन न केवल उनकी स्वास्थ्य स्थिति को सुधारने में मददगार साबित हुआ बल्कि उनके परिवार को भी एक नया जीवन मिला।
डॉ.चौधरी ने बताया कि जन्मजात मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जिसमें जन्म से ही आँखों की रोशनी नहीं होती। इसमे एक अलग प्रकार लेमिलर कैटरेक्ट पाया गया । जन्मजात मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे का जन्म होते ही उनकी आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो जाता है, जो उनकी दृष्टि को प्रभावित करता है। इस स्थिति में अगर समय रहते इलाज नहीं हो तो ऑखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ सकता है।
डॉ.चौधरी ने स्पष्ट किया कि भारत में हर 10,000 में से 6 बच्चे जन्मजात मोतियाबिंद के साथ पैदा होते हैं। यह बचपन में अंधेपन की 10 प्रतिशत घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। यह आमतौर पर माताओं में संक्रमण या डाउन सिंड्रोम जैसी अन्य बीमारियों के कारण होता है।
सभी मरीज को पूरी तरह से दिख रहा है और इस निःशुल्क ऑपरेशन के लिए उन्होने चेयरमेन राहुल अग्रवाल एवं ऐक्जिक्यूटिव डॉयरेक्टर अमन अग्रवाल को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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September 18, 2024