उदयपुर। साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि पर्युषण पर्व आत्म शुद्धि, आत्म सिद्धि और आत्मावलोकन कर पर्व है। यह पर्व संदेश देता है कि पूरे एक वर्ष बाद आया हूँ तुम्हारी सुप्त आत्मा को जाग्रत करने के लिए। यह स्वर्णिम अवसर है भौतिकता से आध्यात्मिकता में, अंधकार से प्रकाश में, भोग से योग में असंयम से संयम में जाने के लिए।
साध्वी संयम ज्योति ने कहा कि पर्युषण तन मन और धन के प्रदूषण को समाप्त करता है। तन व्याधि मंदिर, तन व्याधियों का मंदिर है। तप के द्वारा तन की व्याधियों के प्रदूषण को दूर किया जा सकता है। मन के कषाय और वासनाओं के प्रदूषण को सकारात्मक भावों से दूर कर सकते हैं। धन के प्रदूषण को धन का बेस्ट यूज करके दूर कर सकते हैं।
साध्वी ने कहा कि पर्युषण पर्व को कई नामों से जाना जाता है वो नाम ही उनकी विशेषताओं प्रकट करते हैं। पर्युषण को लोकोत्तर पूर्व, क्षमापर्व, समवत्सरी और आत्मलक्षी पर्व के नाम से जाना जाता है। यह पर्व आत्मा को आत्मा के गुणों से श्रृंगारित करने का पर्व है।
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