लेखक वैद्य शोभालाल औदिच्य
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
BAMS MD (AYU) Ph.D (AYU.)
MA (YOGA)
भाद्रपद माह में जब वर्षा ऋतु अपने अंतिम चरण में होती है, तब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर मंदिरों और घरों में पंजीरी का विशेष भोग लगाया जाता है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार, पंजीरी का सेवन विभिन्न मौसमी बीमारियों से बचाव और उनके उपचार के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पंजीरी का आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु के दौरान वात और पित्त दोष का असंतुलन बढ़ जाता है, जिससे पित्त जन्य रोगों का प्रकोप होता है। पंजीरी, जिसमें धनिया, अजवाइन, सुआ, सौंफ, और जीरा जैसे तत्व होते हैं, इन दोषों को संतुलित करने में सहायक होती है।
पंजीरी बनाने की विधि
धनिया, अजवाइन, सुआ, सौंफ, और जीरा की बराबर 50 ग्राम मात्रा लेकर शुद्ध देसी घी 50 ग्राम में भुन ले । इसके पश्चात सभी का पाउडर बनाले । इसमें 50 ग्राम शक्कर बुरा मिला कर टायर कर लेवें ।
पंजीरी के स्वास्थ्यवर्धक लाभ
1. पित्त विकारों में राहत:
– पंजीरी में शामिल धनिया और सौंफ पित्त को नियंत्रित करते हैं, जिससे एसिडिटी, गैस और बुखार जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
– पित्त दोष के कारण होने वाले नेत्र विकारों में भी पंजीरी का सेवन लाभकारी है।
2. नेत्र विकारों में लाभ:
– पंजीरी में मौजूद सौंफ और धनिया आंखों की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से आंखों की रोशनी में भी सुधार होता है।
3. गैस और एसिडिटी में राहत:
– अजवाइन और सौंफ पाचन को सुधारते हैं और पेट में गैस बनने की समस्या से निजात दिलाते हैं। यह पेट की एसिडिटी को भी नियंत्रित करते हैं।
4. चर्म रोगों में लाभकारी:
– पित्त जन्य चर्म रोगों, जैसे कि खुजली और त्वचा की जलन, में पंजीरी का सेवन राहत प्रदान करता है। धनिया और सुआ त्वचा को ठंडक प्रदान करते हैं और चर्म रोगों से बचाव करते हैं।
5. कब्ज से राहत:
– पंजीरी में शामिल घी और अजवाइन पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं, जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है। यह आंतों की सफाई में भी मददगार है।
प्रतिदिन प्रातः सेवन के लाभ
जन्माष्टमी के अवसर पर बनाई गई पंजीरी का यदि प्रतिदिन प्रातः सेवन किया जाए, तो यह पूरे शरीर के लिए लाभकारी सिद्ध होती है। यह न केवल पित्त विकारों से बचाव करती है, बल्कि संपूर्ण पाचन तंत्र को भी सुधारती है।
1. इम्यूनिटी में वृद्धि: पंजीरी में मौजूद तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।
2. शरीर की उष्मा बनाए रखना: पंजीरी का नियमित सेवन शरीर को उष्मा प्रदान करता है, जिससे ठंडे मौसम में भी शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।
3. शरीर में ऊर्जा का संचार: पंजीरी शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे पूरे दिन ताजगी और स्फूर्ति बनी रहती है।
सारांश
जन्माष्टमी पर पंजीरी का सेवन धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक लाभकारी है। इसका नियमित सेवन पित्त विकारों, नेत्र विकारों, गैस, बुखार, एसिडिटी, चर्म रोग और कब्ज जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव करता है। इस जन्माष्टमी पर, पंजीरी को अपने आहार का हिस्सा बनाएं और इसके स्वास्थ्यवर्धक लाभों का अनुभव करें।