उदयपुर। दिल्ली पब्लिक स्कूल उदयपुर के प्रांगण में अंतर्विद्यालय संस्कृत समूह गीत प्रतियोगिता संपन्न हुई इस प्रतियोगिता में नगर के 27 विद्यालयों की टीमों ने भाग लिया।
संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार हेतु संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत ‘संस्कृति भारतीय उदयपुर’ द्वारा विभिन्न विद्यालयों में सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की गई। समूह गीत प्रतियोगिता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी नेमीचंद्र पारीक थे।
पारीक ने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए दैनिक जीवन में उपयोगी संस्कृत सूक्तियां के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ‘‘सत्यमेव जयते’’ उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः जैसी सूक्तियां हमें प्राचीन काल से आज तक दैनिक जीवन में सत्य और परिश्रम का महत्व बताती रहती है आज आवश्यकता इस बात की है कि हम संस्कृत भाषा को विद्यालय में पढ़ने के अलावा संस्कृत साहित्य भी पड़े और गौरव का अनुभव करें।
प्रतियोगिता में शुद्ध उच्चारण व मधुर स्वर लहरियों श्रोताओं के आकर्षण का केंद्र रही। फ्रांस व पेरिस से डीपीएस उदयपुर के छात्रो व षिक्षकों से छात्र विनिमय कार्यक्रम के तहत 50 विद्यार्थी आये। उन्होने शाला भ्रमण किया एवं विद्यार्थीयों एव शिक्षकों से अपने विचार साझा किये तथा विद्यार्थियों का दल तो मधुर गीत सुनकर मंत्र मुग्ध हो गया।
इस रोचक प्रतियोगिता के अंतर्गत विद्यालय के प्राचार्य संजय नरवरिया ने सभी प्रतिभागीयों की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा व सभी भाषाओं की जननी है यदि भारत को जानना है तो संस्कृत भाषा को जानिए। संस्कृत में रचित वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ हैं विद्या ददाति विनयम् तो विभिन्न संस्थाओं में लोकप्रिय है। संस्कृत भाषा की मधुरता शुद्ध उच्चारण में है आप सभी का प्रस्तुतीकरण बहुत ही मनोहारी व प्रभावशाली रहा इस तरह की प्रतियोगिताओं का उद्देश्य इस आम धारणा को दूर करना है कि संस्कृत सिर्फ वेदों की भाषा है। हमें समझना होगा कि इसे पुनः लोकप्रिय बनाकर जनमानस में प्रतिष्ठित करना है और प्रचलन में लाना है।
कार्यक्रम के अंत में सबको शुभकामनाएं देते हुए विद्यालय के प्रो. वाइस चेयरमेन गोविंद अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम करते रहना चाहिए गीतों में अभिव्यक्त धर्म विचार जन मानस में उतरकर स्थाई निवासी बना लेते हैं और संस्कृत भाषा का महत्व तो विश्व विख्यात है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में तो पाणिनी व्याकरण के सूत्रों पर शोध किया जा रहा है । एक अध्ययन में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए संस्कृत साहित्य में सूत्र मिले हैं। अंत में विद्यालय के उप प्राचार्य राजेश धाभाई ने सभी गायको की सराहना करते हुए शुभकमनाएं प्रेषित की।