उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि नारी नारायणी है। सुसंस्कारों के अभाव में घर को नरक बना देती है वही सुसंस्कारिक घर को स्वर्ग बना देती है।
साध्वी ने कहा- संसार में सर्वत्र आग लगी हुई है। शांति के दर्शन नहीं होती है। व्यक्ति शांति के लिए शाम को घर लौटता है परंतु यहाँ भी आग लगी देखता है तो सोचता है यहाँ से कहीँ दूर चला जाऊ परंतु मोह की दशा में वो भी इस आग में ही सुलगता है।
साध्वी ने नारी के तीन मुख्य रूप पात्रों पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर ये तीन पात्र सास बहु ननद अगर विनय विवेक और अन्तर दृष्टि की दीर्घता से अपने रोल अदा करें तो घर मंदिर बन जाये।
साध्वी ने कहा कि सास बहू में कलह का मुख्य कारण अधिकार, अहंकार और अपेक्षा है। सास घर पर पूर्णतया अपना अधिकार चाहती है एक छत्र राज चाहती है। उसकी अपेक्षा रहती है बह मेरे नियन्त्रण में रहे। मैं चाहूं जैसा वो करे। वो परजायी है। मैं मालकिन हूँ। उसका यह अहंकार घर में महाभारत पैदा करता है।
साध्वी ने कहा -पुत्र वधु गुजराती में वधु का अर्थ है ज्यादा अर्थात जो पुत्र से ज्यादा प्यारी हो वर पुत्र वधु कहलाती है। अगर सास. बेटी और बहू के साथ समान व्यवहार करे उसकी बेटी को ससुराल में खूब प्यार मिले तो बहू भी किसी की बेटी है, उसे प्यार से रखंे।
Related Stories
September 18, 2024
September 18, 2024
September 17, 2024