उदयपुर। श्रमण संघीय साध्वी डॉ संयमलता ने कहा कि मानव का चरित्र मर्यादा पर ही आधारित होता हैं। नागरिक या पारिवारिक जीवन में जहा भी विडम्बना आती है उसके मूल में अमर्यादा ही होती हैं। पारिवारिक जीवन आज खंडित हो रहा हैं। पारस्परिक आत्मीयता के भाव समाप्त हो रहे हैं। व्यक्ति एकाकी और निपट स्वार्थी बनता जा रहा है। यह सभी अमर्यादित आचरण से हो रहा है। मर्यादा को भूलकर हम अमर्यादित होते जा रहे है जबकि यह सभी जानते हैं कि मर्यादा के बिना समाज परिवार टिक नही पातें।
वे आज हिरण मगरी सेक्टर पाँच स्थित महावीर भवन में आयोजित आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थी। उन्होनें कहा कि जो जहां भी है वहीं उसकी कुछ सीमाएं भी हैं। कुछ कर्तव्य और धर्म भी है। उन्हें यह पहचानना चाहिये। बच्चों को बचपन से ही कुछ ऐसे संस्कार दे कि वे जीवन में कर्तव्य और अपनी सीमा की रेखाओं को समझने लगे। आज भारतीय नागरिक के लिये मर्यादा शब्द एक बन्धन सा लगने लगा। वह इसका उच्चारण करते हुए भी संकोच सा करता हैं किन्तु उसे यह समझना चाहिये कि अमार्यादा को बढ़ावा देकर हम अपने ही पांवो पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं।
साध्वी कमल प्रज्ञा ने कहा कि मनुष्य भाग्यशाली है कि उसको मानव जन्म मिला है। इस पर खास बात यह कि जैन धर्म मिला है। जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया वही अपनी इंद्रियों को वश में रखकर धर्म आराधना कर सकता है।
आज पहुंचेंगे वासुपूज्य मंदिर -साध्वी डॉ. संयमलता अपनी शिष्या मंडली के साथ गुरुवार को सुबह सूरजपोल स्थित वासुपूज्य मंदिर पहुंचेंगी।
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